Lnmu Part 3 Hindi Honours Paper 5 Model Paper 2024

Lnmu Part 3 Hindi Honours Paper 5 Model Paper 2024 : अतिमहत्वपूर्ण प्रश्न एवं उनके उत्तर

Lnmu Part 3 Hindi Honours Paper 5 Model Paper 2023 : नमस्कार दोस्तों मै हूँ आपका Topper Guruji और आज के पोस्ट के माध्यम से आप सभी को ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय, दरभंगा के छात्र-छात्राओं के लिए हिन्दी आँनर्स पेपर -5 के लिए अतिमहत्वपूर्ण प्रश्न एवं उनके हल को बताऊँगा । इसलिए शुरु से अन्त तक सभी प्रश्नों को ध्यान से पढिए । पोस्ट अच्छी लगे तो दोस्तों के साथ भी जरुर शेयर किजिए ।

◾️ वस्तुनिष्ठ प्रश्न :

Lnmu Part 3 Hindi Honours Paper 5 Model Paper 2023

  🔺 इकाई 01 : कर्मभूमि ( लेखक- मुंशी प्रेमचन्द्र)

  • रचनाकार : मुंशी प्रेमचन्द्र
  • विधा :- उपन्यास
  • प्रकाशन वर्ष :- 1932 ई.
  • प्रकाशक :- वाणी प्रकाशक
  • भाषा :- हिन्दी
  • कर्मभूमि का शाब्दिक अर्थ :- व्यक्ति का कर्म क्षेत्र

◾️ पात्रों का अवलोकन :

  1. अमरकांत (नायक)
  2. सुखदा (नायिका)
  3. समरकांत (अमरकांत का पिता)
  4. रेणुका देवी (सुखदा देवी कि माता)
  5. नैना (अमरकांत कि सौतेली बहन)
  6. मुन्नी (बलात्कार पीडिता गाँव कि लडकी)
  7. सलीम (अमरकांत का दोस्त)
  8. सकीना (अमरकांत जिसके प्रति अनुरक्त था)
  9. काले खाँ (चोरी का सामान बेचने वाला)
  10. प्रो. शान्ति कुमार (अमरकान्त के गुरु)

 

 

 

 

Lnmu Part 3 Hindi Honours Paper 5 Model Paper 2024

🔺 इकाई 02 :-  (दिव्या – यशपाल)

◾️ वस्तुनिष्ठ प्रश्न

  • रचनाकार : यशपाल
  • विधा :- ऐतिहासिक उपन्यास
  • प्रकाशन वर्ष :- 1945 ई.
  • प्रकाशक :- लोकभारती प्रकाशन
  • भाषा :- हिन्दी
  • आधार :- दलित पीडित नारी कि करुण कथा
  • यशपाल का जीवन परिचय :
  • जन्म : 03 दिसम्बर 1903 ई.
  • जन्म स्थान : फिरोजपुर छावनी
  • पिता का नाम : हीरालाल
  • माता का नाम : प्रेम देवी
  • निधन : 26 दिसम्बर 1976 ई.
  • पात्रों का अवलोकन :
  • स्त्री पात्र :
  • दिव्या
  • रत्नप्रभा
  • मल्लिका
    ◾️ पुरुष पात्र :
  • आचार्य रुद्रधीर (वर्णाश्रम धर्म)
  • पृथुसेन (बौद्ध धर्म)
  • मारिश (चार्वाक दर्शन का प्रतिनिधित्व करने वाला)

Lnmu Part 3 Hindi Honours Paper 5 Model Paper 2024

Lnmu Part 3 Hindi Honours Paper 5 Model Paper 2024 महत्वपूर्ण प्रश्न एवं उनके उत्तर

◾️ लघु उत्तरीय प्रश्न एवं उत्तर :

Lnmu Part 3 Hindi Honours Paper 5 Model Paper 2023

प्रश्न 01. सकीना का चरित्र-चित्रण करें ? (VVI)

उत्तर :- ◾️ सकीना का परिचय :-

सकीना, मुंशी प्रेमचन्द्र द्वारा रचित “कर्मभूमि” उपन्यास कि पात्रा है ।

◾️ सकीना का चरित्र-चित्रण :-

  • उपन्यास में सकीना का चरित्र पाठकों के समक्ष उभरकर सामने नही आता है। उसके चरित्र को हम अमरकांत, सलीम और सुखदा के संदर्भ में ही पाते हैं ।
  • वह एक निम्न वर्गीय मुस्लिम समुदाय से संबंध रखती है और माता पिता का साया ना होने के कारण उसकी दादी ही एकमात्र उसका आधार है। उसकी इज्जत ही दादी की एकमात्र जमा पूँजी है।
  • उपन्यास में अमरकांत के प्रणय निवेदन करने से वह भी उसपर अपना सर्वश्व न्यौछावर करने को तैयार हो जाती है।
  • वह पहली बार सामाजिक रूढ़ियों का विरोध करते हुए नज़र आती हैं। वह अपनी दादी का भी त्याग कर देना चाहती है जिन्हें उनकी पोती की खुशी से ज्यादा समाज की परवाह होती है।
  • अमरकांत यहाँ भी अपनी दुर्बलता का परिचय देकर सकीना को उसके हाल पर छोड़ कर चला जाता है।
  • अमरकांत के बाद सकीना की दुनिया में उमंग का लेशमात्र भी स्थान नही था। वह बीमार रहने लगी थी ।
  • एक दिन सुखदा उससे मिलने आती है। सुखदा को सकीना से सच्ची सहानुभूति थी । उससे बात कर सुखदा प्रेम के अर्थ को समझती है।
    सकीना कहती है “-” सभी ने मुझे दिल बहलाव की चीज़ समझा, और मेरी गरीबी से अपना मतलब निकालना चाहा । अगर किसी ने मुझे इज़्ज़त की निगाह से देखा, तो वह बाबूजी थे । “
  • सकीना की बातों का सुखदा पर ऐसा असर हुआ कि सकीना के प्रति उसके सारे भ्रम दूर हो गए ।
  • सकीना अमर के इंतज़ार में जीवन काटती है और जब सलीम सकीना से निकाह करने की इच्छा जाहिर करता है तो वह तब भी उससे अमरकांत की राय लेने को कहती है ।

◾️ निष्कर्ष :-

सकीना उपन्यास में एक ऐसे चरित्र के रूप में पाठकों के सम्मुख आती है जिसने ना केवल प्रेम की परिभाषा को सार्थक सिद्ध किया, अपितु सुखदा और अमरकांत के गृहस्थ जीवन को नई दिशा देने का कार्य करती है।

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प्रश्न 02. पृथुसेन का चरित्र-चित्रण करें ? (VVI)

उत्तर :- ◾️ परिचय :- पृथुसेन, यशपाल द्वारा रचित “दिव्या” उपन्यास का पात्र है ।

◾️ चरित्र- चित्रण :-

  • पृथुसेन आधुनिक युग की पूँजीवादी विचारधारा का प्रतिनिधित्व करनेवाला पात्र है।
  • उसका सम्बन्ध ऐसे कुल से है जिसकी जड़ों में परम्परागत पूँजीवादी का रस है।
  • उसका पिता प्रेस्थ दास के समान्तर स्तर से उन्नति कर, दासों का व्यापार कर पूँजीपति बना ।
  • अतः पृथुसेन में अभिजात वंश के संस्कार नहीं है।
  • प्रेस्थ ने अपने पुत्र पृथुसेन का पालन अभिजात वंश के कुमारों की भाँति कर, उसे अभिजात वंश के योग्य शस्त्र और शास्त्र की शिक्षा दी थी, वह विद्योपार्जन के लिए तक्षशिला भी गया था।
  • पृथुसेन के लिए जीवन की सार्थकता अधिकार और सामर्थ्य में है। वह युद्ध में पराक्रान्त होकर जीवन भर तिल-तिल कर मरने की कल्पना सहन नहीं कर सकता ।
  • नवशिक्षित सैन्य लेकर जब उसे तविशा की तटवर्ती दुरुह पर्वत उपत्यकाओं में शत्रु से लोहा लेने के लिए नियुक्त किया जाता है, तो जिस तत्परता, कौशल और अध्यवसाय से वह सेना को युद्ध के लिए तैयार करता है उसे प्रशिक्षण देता है वह प्रशंसनीय है।
  • पृथुसेन की चेतना में और उसके कर्मों में भी पितृपक्ष के संस्कार बद्धमूल है। उसके कर्मों में ये पैतृक संस्कार रह-रहकर चमक उठते हैं।
  • ◾️ निष्कर्ष :-
    अत: , पृथुराम दुर्घर्ष वीरर होते हुए भी संवेदनशील था, आत्मसमर्पण की रात को अपने कठोर शब्दों के कारण जब वह दिव्या को रोते देखता है तो उसका हृदय अपनी फीता के लिए परिताप से गल जाता है, वह अपनी कठोरता के लिए दिव्या से क्षमा मांगता है, उसे सान्तवना देने का प्रयत्न करता है। युद्ध से लौटने के बाद विजय-तिलक के अवसर पर उसके नेत्र दिव्या को खोजते रहे।

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